पीपीई किट की गुणवत्ता पर भारत सरकार ने लगाई मुहर

Ballia Desk
By -
0


पीपीई किट की गुणवत्ता पर भारत सरकार ने लगाई मुहर





ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की लेबोरेटरी में हुई टेस्टिंग, मेल के जरिए मिला यूसीसी

बलिया। बलिया में बनी पीपीई किट को भारत सरकार की मंजूरी मिल गयी है. अब यहां की बनी किट अन्य जिलों या राज्यों के लिए भी उपलब्ध हो सकेगी. बलिया जैसे छोटे जिले के लिए यह किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है. कोरोना के नोडल व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट विपिन जैन ने बताया कि भारत सरकार की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की लेबोरेटरी में इस पीपीई किट की टेस्टिंग हुई.

वहां से मंगलवार को मेल के जरिए यह जानकारी दी गयी कि बलिया में बनी किट की गुणवत्ता बेहतर है. उन्होंने बताया कि शुरुआती समय में मेडिकल टीम द्वारा अप्रूव की गई किट का उपयोग सभी स्वास्थ्य कर्मियों ने किया और सभी सुरक्षित है. सबकी जांच कराई गई, जिसमें सब स्वस्थ मिले. बाद में कपड़ा मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा नई गाइडलाइन जारी हुई, जिसके बाद इस किट को भारत सरकार की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के लेबोरेटरी में भेजा गया. बेसिक जांच में इसकी गुणवत्ता सही मिलने पर वहां के एडिशनल जनरल मैनेजर द्वारा भी इस बात को लेकर खुशी जाहिर की गई कि बलिया जैसे छोटे जिले में इसका निर्माण हुआ है. वहां से यूनिक सर्टिफिकेट कोड (यूसीसी) दिया गया, जो कि बड़ी बात है.

जब पूरे देश मे थी कमी तो स्थानीय स्तर पर प्रयास लाया रंग

कोरोना महामारी ने भारत में पांव पसारना शुरू किया तब पूरे देश में पीपीई किट की कमी थी. एयरलिफ्ट के जरिए अन्य देशों से मंगाई जा रही थी, लेकिन वह पर्याप्त नहीं थी. उसके बाद संयुक्त मजिस्ट्रेट विपिन जैन के मन मे स्थानीय स्तर पर इसकी व्यवस्था करने का ख्याल आया. उन्होंने उद्योग केंद्र के माध्यम से खालसा बैग हाउस से सम्पर्क किया. खालसा बैग हाउस भी इसको बनाने के लिए आगे आये. कपड़ा मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन को ध्यान से पढ़ा गया और उसके हिसाब से इसे बनाने का प्रयास शुरू हुआ. सीएमओ, उपायुक्त उद्योग के साथ मिलकर सुरक्षा सम्बन्धी विषय पर लगातार चर्चा की. खालसा बैग हाउस से सुरेंद्र सिंह छाबड़ा ने रॉ मैटेरियल की व्यवस्था की. इसमें प्रयोग होने एंटी बैक्टीरियल किट को बेंगलुरू से मंगाया. इतना ही नहीं, छाबड़ा स्वयं भी नोएडा आदि जगहों पर जाकर किट की कमियों का अध्ययन किया और उनको दूर करने का प्रयास किया. तब जाकर स्थानीय स्तर पर एक कारगर किट आसानी से उपलब्ध हो सकी.

आधे खर्च में कोरोना योद्धाओं को मिला सुरक्षा कवच

स्थानीय स्तर पर पीपीटी उपलब्ध होने से एक बड़ा फायदा यह हुआ कि नो प्रॉफिट-नो लॉस के आधार पर अन्य जिले के मुकाबले आधे खर्च में कोरोना योद्धाओं के लिए सुरक्षा कवच मिल गया. जी हां, पीपीई किट पर अन्य जिलों के अपेक्षा यहां कम खर्च हुआ. जो किट अन्य जिलों में 1200 की पड़ रही है, यहां 600 में उपलब्ध हो जा रही है. इस तरह आधे खर्च में कोरोना योद्धाओं के लिए सुरक्षा कवच उपलब्ध हो सका. इसके लिए सुरेंद्र सिंह छाबड़ा बधाई के पात्र हैं.

उद्यम समागम की सोच अब हो रही पूरी, मिला  स्टार्टअप का मौका

वर्ष 2019 में जिले में समागम हुआ था और उसमें उद्यमियों को आमंत्रित किया गया था. अपेक्षा थी कि बलिया में भी काम कर औद्योगिक इकाइयां स्थापित करें और कुछ नया स्टार्टअप हो. कोरोना काल में यह सोच पूरी होती दिख रही है. स्थानीय स्तर पर बनी पीपीई किट के रूप में यह स्टार्टअप मिला. इसकी गुणवत्ता पर भारत सरकार की ओर से मंजूरी मिलने के बाद इसे एक बढ़िया स्टार्टअप माना जा रहा है.

जरूरत पड़ी तो दूसरे जिले को भी देने की क्षमता

संयुक्त मजिस्ट्रेट विपिन जैन ने कहा कि स्थानीय स्तर पर इसे किट को बनाने का फायदा यह भी हुआ कि आज हमें स्टॉक की कोई चिंता नहीं है. जरूरत पड़ने पर कभी भी सौ-दो सौ पीपीई किट बनाया जा सकता हैं. इतना ही नहीं, अगर अन्य जिलों को बहुत जरूरत पड़ गई तो उन्हें हम उपलब्ध भी करा सकते हैं. हफ्ते दिन का समय मिला तो हजार-डेढ़ हजार किट देने की क्षमता हो गयी है. मेडिकल उपकरण बनाने वाली कंपनियों को छोड़ दिया जाए तो प्रदेश का पहला जनपद बलिया है जहां स्थानीय स्तर पर बेहतर गुणवत्ता की पीपीई किट का निर्माण हुआ है. भारत सरकार की लेबोरेटरी में इसकी टेस्टिंग भी हुई जिसमें इसकी गुणवत्ता पर हरी झंडी मिल गयी.

दस कुशल श्रमिकों को मिला रोजगार

उपायुक्त उद्योग राजीव कुमार पाठक ने बताया कि बाहर से हर प्रवासियों की स्किन मैपिंग की गई. उनको उनकी कुशलता के आधार पर रोजगारपरक बनाने का प्रयास है.

श्री पाठक ने बताया कि हर प्रवासी से फोन के जरिए बात की गई. वह किस कार्य में कुशल हैं, इसके पहले बाहर में क्या काम करते थे, इसकी विस्तृत जानकारी ली गई. बताया कि पूर्वांचल के सभी श्रमिकों को इंडिया लेवल पर सेवायोजित करने की योजना है. इसी के तहत औद्योगिक आस्थान माधोपुर में दस श्रमिकों को सेवायोजित किया जा चुका है.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)
3/related/default